आखिर क्यों ज़रूरी है करियर काउंसलिंग स्कूल स्टूडेंट्स के लिए, जानने के लिए ज़रूर पढ़ें ये लेख

अगर आप अब भी करियर काउंसलिंग या करियर कोचिंग जैसी बातों को सीरियस नहीं लेते हैं तो अब अपने बच्चों के करियर के लिए इसे गंभीरता से लें और जानें की करियर में काउंसलिंग और करियर कोचिंग क्यों जरूरी है और क्या काउंसलिंग ही बच्चों के करियर का आधार है| आज हम इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ बातों पर चर्चा करेंगे जिससे आपको यह पता चलेगा की काउंसलिंग और करियर कोचिंग दोनों ही करियर में सफलता प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाते हैं|

Jun 7, 2018, 10:47 IST

Career counselling for school students

Career counselling for school students

आखिर क्यों जरूरी है करियर काउंसलिंग और किस हद तक है सहायक.

स्टूडेंट्स नौवीं कक्षा में आते है और अगले साल बोर्ड. कुछ छात्रों ने बोर्ड दिए हैं इस बार और वे अब कॉलेज शुरू करेंगे। मतलब करियर चुनने की भागम भाग शुरू|

करियर बनाना या सेट करना मुश्किल नहीं है। मुश्किल तो ये है कि आप कौन सा करियर चुनेंगे और उस पर कैसे आगे बढ़ेंगे? क्योंकि लोगों को ये समझने में ही आधी जिंदगी बीत जाती है कि उनकी पसंद क्या है, उनके अंदर क्या अच्छा करने की शक्ति है और वो किस चीज में करियर बना सकते हैं। इसलिए नौवीं कक्षा में आते ही बच्चों को करियर काउंसलिंग या करियर कोचिंग देने की बात आजकल काफी कही जाती है। तो अगर आप अब भी करियर काउंसलिंग या करियर कोचिंग जैसी बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं तो अब अच्छे करियर के लिए इसे गंभीरता से लें और जानें की करियर में काउंसलिंग और करियर कोचिंग क्यों जरूरी है और क्या काउंसलिंग ही स्कूल स्टूडेंट्स के करियर का आधार है?

आइये जानते हैं करियर काउंसलिंग क्या है?

जैसा की हम सब को पता है कि छात्रों की वास्तविक क्षमता पता लगाने के लिए काउंसलिंग ज़रूरी है। कुछ छात्र तो अपने करियर का ऑप्शन सही चुन लेते हैं लेकिन बहुत सारे ऐसे छात्र भी हैं, जो या तो कंफ्यूज्ड रहते हैं या फिर उनके पास कोई आइडिया ही नहीं होता है कि क्या करें। तो इन समस्यायों के समाधान के लिए बच्चों को काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ती है | हम आपको बतादें की करियर काउंसलिंग 2 से 3 घंटे या अधिक से अधिक एक दिन का सेशन होता है और इतने कम समय में किसी बच्चे की रूचि का पता लगाना संभव होपाएगा या नही? हमें लगता है की ये बड़ा मुश्किल काम होगा की इतने कम समय में किसी की रूचि को समझा जा सके और उसके आधार पे उसको करियर की सलाह दिया जा सके|

ऐसे समय में ज़रूरत है तो बच्चों को एक सही करियर कोचिंग की. सबसे पहले जानते हैं कि करियर कोचिंग है क्या?

करियर कोचिंग : एक ऐसा श्रोत है जिसमें आपको अपनी रूचि का भी सही तरीके से पता चलता है और आगे बढ़ने का सही रास्ता भी मिलता है| करियर कोचिंग में सबसे ज़रूरी है आपका कोच| जी हाँ, आपके करियर कोचिंग में आपके कोच बहुत मुख्य भूमिका निभाते हैं और आपके करियर कोचिंग के लिए आपको 4 कोच की आवश्यकता होगी जो कुछ इस प्रकार हैं:

आइयें अब इन सभी कोच के बारे में जाने की ये किस प्रकार आपके करियर कोचिंग में सहायक होंगे |

1. आप खुद - आपके करियर का चुनाव आपसे ही शुरू होता है, आपका व्यक्तित्व, आपका शौख, आपका रुझान ही आपके करियर के चनाव में सहायक होगा| बस ज़रूरत है तो सही समय पर अपने रूचि का पता लगाने की और उसके बारे में जानने की| जैसे की आपको सही ऑप्शन समझ नहीं आ रहा की आपको आगे क्या करना चाहिए तो सबसे सही और आसान तरीका यह है कि आप जितने भी करियर ऑप्शन से अवगत हैं उन्हें एक पेपर पर लिख लें, आप चाहे तो अपने पेरेंट्स, दोस्त और आस-पड़ोस के लोगों से भी करियर ऑप्शन्स जानने में सहायता ले सकते हैं|

अब आपके पास उस पेपर पर 40-50 करियर के ऑप्शन्स मौजूद हैं| अब कोशिश करें की इन सभी ऑप्शंस को आप अच्छे से समझ सकें| इसके लिए भी आप अपने जानने वालों और पेरेंट्स की सहायता ले सकते हैं| अब जब आप इन ऑप्शन्स से जुड़ी चीजों को जानेंगे तो आपको ऐसे 10 ऑप्शन्स नज़र आयेंगे जिनमे आपकी रूचि आपको दिखेगी|

2. आपके पेरेंट्स - यहाँ से शुरू होती है आपके दुसरे कोच यानि आपके पेरेंट्स की भागीदारी, आपनें जो ऑप्शन्स शोर्ट-लिस्ट कर लिया है उन ऑप्शन्स के बारे में अपने पेरेंट्स से बात करें उनसे मदद लें| माना की आपकी रूचि जिस भी फील्ड से जुड़ी है उसके बारे में आप अपने पेरेंट्स से पूछें, यदि आपके पेरेंट्स के दोस्त उस फील्ड में हैं तो उनसे मिलें या उनसे बात करें और जानने को कोशिश करें की क्या स्कोप है आगे उस फील्ड में और उनसे पूछें की उनको ये कितना उचित लगता है | इस प्रकार आप अपने रूचि और अपने करियर के काफी समीप होंगे और आपके 10 ऑप्शन्स 2 या 1 ऑप्शन्स में इस प्रकार आसानी से बदल जायेंगे|

3. आपके टीचर- अब आपको अपने शोर्ट लिस्ट किए गए गोल के अनुसार खुद की स्किल्स भी को अच्छा करना है और यहाँ से शुरू होता है आपके तीसरे कोच यानि एक टीचर की भूमिका. आपके टीचर ही आपको यह सही तरीके से बता सकते हैं कि आपके गोल तक आपको किस प्रकार पहुंचना है, आप कहाँ चूक रहें हैं, कितनी सुधार की आवश्यकता है, 11 वी और 12 वी में आपको कैसे पढ़ना है, आपका समय सारणी किस प्रकार होना चाहिए, आपको आपके गोल तक पहुँचने के लिए कितनी मेहनत करनी चाहिए इत्यादि | आपका स्तर अभी क्या है और आपको आपके गोल और अपने करियर में सफलता के लिए और कितनी मेहनत की आवश्यकता है| यह सब आपके टीचर की मदद से ही संभव है| उदहारण के तौर पर, यदि आपको IIT का पेपर देना है, तो आपके टीचर ही आपको सही मार्गदर्शन दे सकते हैं कि आपको इसके लिए कौन सी किताब पढनी चाहिए, किस तरह के प्रश्न इसमें पूछे जाते हैं, इस एग्जाम को क्लियर करने की आपकी क्या रणनीतियाँ होनी चाहिए, आपको क्या पढ़ना है और कितना पढ़ना है, इन सभी चीजों में आपके टीचर ही आपके एक मात्र सही सहयोगी साबित हो सकते हैं|

4. आपके फ्रेंड्स- आपका चौथा कोच आपके अपने ही दोस्त बन सकते हैं ज़रूरत है तो बस इतनी की आपको अपने दोस्तों का सही चनाव खुद करना होगा, इसके लिए आपको कुछ ऐसे दोस्तों का चुनाव करना है जिनका करियर गोल आपकी तरह ही हो या आपके गोल से मिलता जुलता हो| जैसे- अगर आपका रुझान खेल कूद में है तो आपको इसके लिए शारीरिक रूप से फिट रहने की आवश्यकता है ऐसे में यदि आपका कोई दोस्त भी ऐसी ही किसी चीज़ में रूचि रखता है तो आप अपने उस दोस्त के साथ ही खेल की प्रक्टिस, रनिंग और बाकि की चीजों की प्रक्टिस कर सकते हैं|

अगर इसकी जगह दूसरा उदाहरण लें, जैसे माना आप किसी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए आपने कहीं कोई क्लास शुरू की है यदि आप किसी दिन अपने क्लास नही जा सके किसी कारण-वश तो आपका दोस्त उस पूरे टॉपिक को अच्छे से आपको समझा सकता है, इसके और भी फायदे हैं कि आप अपने दोस्तों के साथ मिल कर अच्छी तैयारी कर सकते हैं, एक दुसरे की मदद कर के आप एक दुसरे के अच्छे कोच साबित हो सकते हैं और एक दुसरे की करियर के शुरुवात में एक एहम भूमिका निभा सकते हैं|

निष्कर्ष: वैसे तो माना जाता है कि जब जागो तभी सवेरा. लेकिन अगर एक उपयुक्त समय की बात करें तो आपको अपने करियर की तैयारी की शुरुवात कक्षा 8th या 9th से कर देनी चाहिए| कई पेरेंट्स या छात्रों का यह भी मनना होता है की इतनी कम उम्र में करियर को लेकर बच्चों का कोई डिसीज़न आगे चल कर परेशानी में न दाल दे, जबकि करियर के चुनाव का यही सबसे आदर्श समय है क्यूंकि कक्षा 9th के बाद बच्चे 10th में आते ही अपने बोर्ड एग्जाम में वयस्थ हो जाते हैं उनके पढाई का तनाव भी बढ़ जाता है| दरअसल देखा जाये तो बच्चों को 8th या 9th में ही अपने करियर से जुड़ी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए क्यूंकि एक सुनिश्चित गोल तक पहुँचने में भी काफी समय लगता है और तनाव जैसी कोई बात भी नही है क्यूंकि इसमें पेरेंट्स, टीचर्स और आपके मित्रों का भी पूरा सहयोग होता है| उम्मीद है कि इस आर्टिकल के ज़रिये आपको अपने करियर के चुनाव के प्रति फाफी सहायता मिलेगी|